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संपादक की ओर से

घुड़सवार के चौथे अंक में आपका स्वागत है!


आजीविका के कामों में बहुत व्यस्त रहने के कारण इस अंक के प्रकाशन में थोड़ी देरी हो गई, लेकिन मुझे उम्मीद है कि यहाँ प्रकाशित सभी बेहतरीन रचनाएँ इसकी भरपाई कर देंगी। इस अंक में एक बार फिर दोनों ही हिंदी और अंग्रेजी की कविताओं की अच्छी संख्या है। मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि मुझे दुनिया के सभी कोनों से सब्मिशन्स प्राप्त हो रहे हैं - इनमें से कई सब्मिशन्स यहाँ तक कि किशोरों से आ रहे हैं, उन परिवारों और कस्बों से भी जहाँ पढ़ना न तो शौक रहा है और न ही परंपरा। घुड़सवार को स्थापित करने की मेरी मंशा ठीक यही थी, ख़ासकर कि जब हिंदी कविता की बात करें तो। काव्य की गुणवत्ता से समझौता किए बिना उनको एक मंच देना जिन्होंने अन्यथा अपनेआप को कवि न माना हो। और मुझे यह सोचकर खुशी हो रही है कि अपने तरीके से घुड़सवार लेखकों में नए, असंभावित रत्नों को खोज रहा है! आखिरकार, हममें से अधिकांश में एक कवि भीतर होता है, लेकिन अगर आप बीज को पानी ही नहीं देंगे, तब वह अंकुरित कैसे होगा?


बेहरहाल, घुड़सवार को यह घोषणा करते हुए अति हर्ष हो रहा है कि हाल ही में पत्रिका ने बेस्ट ऑफ द नेट संग्रह (अंग्रेज़ी कविता के लिए) के लिए अपने पहले नामांकन प्रस्तुत किये, साथ ही घुड़सवार पुरस्कार (स्वयं घुड़सवार द्वारा स्थापित, ऑनलाइन प्रकाशित हिंदी कविता के लिए) के लिए भी नामांकन प्रस्तुत किये। आप नामांकित कविताओं को यहाँ (अंग्रेज़ी) और यहाँ (हिंदी) पढ़ सकते हैं - घुड़सवार पुरस्कार विजेता कवि की घोषणा कुछ ही दिनों में की जाएगी!


लीजिये, अब आप अंक ४ पढ़ने का आनंद लें, और अपने सुझाव देते रहिये!


प्रणाम,


अंकुर वि. अग्रवाल

संपादक, घुड़सवार साहित्यिक पत्रिका


सितंबर २०२४, लिल्लेस्त्र्यम, नॉर्वे

एक्स / ट्विटर - @ankurwriter

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