अहाना
अहाना दिल्ली (भारत) की एक कवयित्री हैं। वह मानवीय भावनाओं की जटिलताओं को व्यक्त करने के लिए लिखती हैं। वह एक महत्वाकांक्षी कवयित्री हैं जो अपनी बातें अंग्रेजी और हिंदी दोनों में रखना पसंद करती हैं। वह अपनी कविताओं के माध्यम से अपने दर्शकों को प्रेरित करने के लिए उत्सुक हैं और उन्हें अपने शब्दों में भावनाओं की जटिलताओं का अनुभव करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
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शबनम की बूँद
शबनम की बूँद
गिरी फिर यूँ ही आसमान से,
कहाँ होता है कोई शोर उसमें,
कहाँ होता है कोई ज़ोर उसमें...?
बस बिना दिखे, बे-आवाज़,
बिना डरे, पर बदहवास...
यूँ ही किसी बे-लफ़्ज़ अश्क सी,
छलकती है इस कायनात से।
अगर किसी पात ने संभाला,
तो सजा देती है उसे ओस बनकर।
अगर ज़मीन पर बिखरी,
तो खो जाती है किसी दर्द की बहरोज़ बनकर।
चाहे जो हो तक़दीर उसकी,
वह बेधड़क, बेबाक हर दफ़ा गिरती है।
नाकाम कर उन हज़ारों पहरे,
यूँ ही हर रोज़ एक नए सवेरे।
किसे पता कि वह ख़ुशी है या यह है बेहद दर्द...
शायद बस सिर्फ एक ज़रिया है,
उस अंबर के पास,
पहुँचाने अपने सारे जज़्बात,
ज़मीन के पास...।