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संपादक की ओर से
घुड़सवार साहित्यिक पत्रिका के दूसरे अंक में आपका स्वागत है !
कभी-कभी किसी सार्थक प्रयास को आरंभ करने की तुलना में उसे ज़ारी रखने में ज़्यादा संतुष्टि की अनुभूति होती है, और घुड़सवार का दूसरा अंक आपके सामने प्रस्तुत करते हुए मेरा बिलकुल ऐसा ही अनुभव है। भले ही मेरा इरादा हमेशा से घुड़सवार को अपने आप में एक संस्थान बनाने का रहा हो, फिर भी जीवन के अनगिनत मोड़ों से गुज़रते हुए हमेशा थोड़ा आश्चर्य तो होता ही है कि हम अपना वादा पूरा करने में सक्षम रहते हैं। इसलिए हिंदी और अंग्रेज़ी में लिखी कुछ और नई आवाज़ों को यहां एक साथ लाना बेहद संतोषजनक है। दुनिया भर के पंद्रह कवियों को इस अंक में अपनी विविध आवाजों की अभिव्यक्ति मिली है, और मेरा मानना है कि यहां प्रत्येक पाठक के स्वाद और रस के लिए कुछ न कुछ है।
उन पाठकों के लिए जिन्हें यहां कुछ पसंद आया, कृपया पत्रिका का समर्थन करें - आप अपने दोस्तों और पुस्तकालय के साथियों से पत्रिका के बारे में बात कर सकते हैं, आप पत्रिका और इसमें प्रकाशित कवियों को सोशल मीडिया पर फ़ॉलो कर सकते हैं, आप मुझे प्रतिक्रिया या सुझाव भेज सकते हैं (और मुझे यह बेहद पसंद है!), या आप एकमुश्त या नियमित दान के माध्यम से भी पत्रिका का समर्थन कर सकते हैं। याद रखें कि घुड़सवार पत्रिका अपने लेखकों को उनके योगदान के लिए भुगतान करने में विश्वास रखती है, भले ही यह बहुत अधिक राशि न हो, क्योंकि मेरा मानना है कि ईमान से किये गए रचनात्मक प्रयासों का हमेशा प्रतिफल मिलना चाहिए।
सभी को, विशेषकर हमारे लेखकों को, आने वाले वर्ष के लिए मंगलमय, लाभकारी वर्ष की शुभकामनाएँ ! 2024 में आपसे मुलाक़ात होगी !
सादर प्रणाम,
अंकुर वि. अग्रवाल
संपादक, घुड़सवार साहित्यिक पत्रिका
दिसंबर २०२३, लिल्लेस्त्र्यम, नॉर्वे
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