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मयंक मिश्रा

मयंक मिश्रा वर्तमान में राजस्थान उच्च शिक्षा विभाग में सहायक आचार्य (अर्थशास्त्र) के पद पर कार्यरत हैं | वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूड़की, में शोधर्थी भी हैं |

आम होना भी ख़ास होता है

आम होना भी खास होता है, 

50 की सब्जी के साथ धनिया मुफ़्त ले आना , 

कहाँ अमीरों के बस में होता है , 

आम होना भी ख़ास होता है।

 

एक ही दुकान से बिना मोल भाव किए, 

समान ले आना, जल्दबाज़ी का काम होता है, 

सही दाम की खोज में चार दुकान घूमना, 

होशियार का काम होता हैं, 

आम होना भी ख़ास होता है।

 

मेहमानों के आने पर , 

माँ की आँखो के इशारों को समझकर, 

तुरंत दुकान से दूध ले आना , 

मुझे कुशल श्रमिक होने का एहसास कराता है, 

यह सौभाग्य अमीरों को कहाँ प्राप्त होता है, 

आम होना भी ख़ास होता है।

 

बड़े भाई के कपड़े, छोटे भाई को आने लगे, 

तो उसे अपने बड़े होने का झूठा एहसास होता है, 

ये छोटी-छोटी बातें उन्हें कहाँ पता, 

जहाँ हर रोज़ नए कपड़ो से श्रृंगार होता है, 

आम होना भी ख़ास होता है।

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