
अरविन्द कुमार
अरविन्द कुमार एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और वर्तमान में अटलांटा, जॉर्जिया, यूएसए में काम कर रहे हैं। यह मूल रूप से जहानाबाद, बिहार, भारत से हैं। इन्हे पढ़ना बहुत पसंद है, खासकर हिंदी कविताएँ, कहानियाँ, उपन्यास आदि, क्योंकि हिंदी इनकी पहली और स्कूली भाषा है। हाल ही में, यह लेखन, लघु कथाएँ, कविताएँ आदि पर हाथ आजमा रहे हैं।
प्रथम रश्मि
नीले नभ में प्रथम रश्मि,
थोड़ा शर्माती, थोड़ा सकुचाती,
रात्रि तिमिर को कर विदा,
अपने सामर्थ्य पर थोड़ा इतराती।
नवयौवन का अल्हड़पन लेकर,
करके दुल्हन का श्रृंगार,
खोलूंगी कलियों के घूंघट मैं,
खोलूंगी सीपियों के मुख द्वार।
मैं परिंदों के परों का वायु वेग बनूंगी,
बनूंगी कुमुदनी का प्रथम आहार,
औंस की बूंदों को करके रौशन,
धारा को दूंगी मोतियों के हार।
पंछी करेंगे कलरव-कीर्तन ,
दिगम्बर होंगे दीप्तमान,
जीवन-स्पंदना होगी प्रकृति,
जग होगा अब गतिमान।
जीवन चक्र के अनंत काल में,
कर के शुरू एक और दिन,
प्रथम रश्मि हुई विदा, आने को फिर,
करने शुरू एक और दिन।