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आयेशा नैयर

आयेशा नैयर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत एक तकनीकी विशेषज्ञ हैं। इन्होंने अपनी शिक्षा एमटेक, आईआईटी दिल्ली और इंजीनियरिंग, जीएसआईटीएस इंदौर से पूरी की है। साहित्यिक परिवार से सम्बंधित होने के नाते, इनके जीवन में लेखन और कला का सदैव सम्मान रहा है। स्वर्गीय लेखिका पद्मश्री मालती जोशी इनकी बुआ थीं, जिनके साहित्यिक योगदान ने इन्हें गहराई से प्रभावित किया है। प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्य करते हुए भी यह चित्रकला और साहित्य के प्रति अपने लगाव को बनाए रखने का प्रयास करती हैं।

साहस अंतर्मन का

निंदक नियरे राखिए, नहीं उचित आजकल ये उपाय,

क्षणिक प्रशंसा अनित्य सानिध्य, है आजकल का अध्याय,

मिल जाता है विशेषण विषण्ण का तुरंत, त्रुटि प्रदर्शित करने वाले को,

है नहीं इतनी भी सहनशक्ति की झेल सके अल्प उलाहनो को,


क्यों है इतने कोमल हम, सह नहीं पाते झिड़की भी अपनों की,

एक क्षण में कैसे परिवर्तित हो जाती है कड़ियां घृणा में, प्यार की,

था कभी मौहल्ला परिवार अपना, थे स्वजन हर गली में,

सोचा कभी, क्यों आज है अनुभूति परायों की, विशिष्ट निकट जनों में,


बदलते संदर्भों से नहीं हैं, अप्रतिबंधित समर्थन आज परिजनों का,

है बाहर पूर्ण निस्तब्धता, पर नहीं है बोध मन में शान्ति का,

मत दो आहतों का अधिकार सीमा से आगे हर किसी को स्वतः पर

लगाओ अंकुश शाब्दिक आघातों के प्रभावों पर,


क्यों नहीं उठाते दायित्व अपने आनंद का, क्यों बनाते हो इसे भार किसी और का,

मंथन करो दृढ़ता अपने लक्ष्यों की, ढूंढों नहीं  प्रतिबिंब हर किसी में अपनी आकांक्षाओं का,

मत ढूंढों आधार डूबते तिनके का, इस निष्ठुर जग के प्रलोभनों से,

बस करो प्रकट अप्रत्यक्ष अगाध साहस को, तुम्हारे अंतर्मन से।

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