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रति सक्सेना

डॉ. रति सक्सेना—कवि, अनुवादक, संपादक, लेखक—देश की  प्रथम द्विभाषीय कविता वेब पत्रिका www.kritya.in की संपादक रहीं, कृत्या नाम से पंद्रह वैश्विक कवितोंत्सव की फेस्टीवल डायरेक्टर रहीं। वर्ल्ड पोइट्री मूवमेन्ट की फाउण्डर-मेम्बर रहीं, हाल-फिलहाल में वर्ल्ड पोइट्री मूवमेन्ट एशिया की प्रमुख कार्डीनेटर हैं। करीब चालीस से अधिक वैश्विक कवितोत्सवों में आमन्त्रित रहीं, और चार वैश्विक रेजीडेन्सी का हिस्सा रहीं।

मकड़ा और येशु

येशु सलीब पर चढ़े थे

मकड़ा रेत पर टहल रहा था


मकड़े की निगाह ऊपर गई,

येशु की एक तरफ लटकी गर्दन

नीचे झुकी आंखें

मकड़े के साथ टकराईं


"तुम ऊपर क्यों चढ़े हो,

पांव रेत पर उतारों तो..."


येशु की आंखों में दर्द की

लकीर चमकी, पैरों पर भी तो कील

लगी है-


"लोगों ने मुझे चढ़ाया है

पीड़ा को नकार, मैं

उनकी कही कर रहा हूं।"


"इंसान की भली कही

अब वह तुम्हें और ऊपर चढ़ा देगा,

हो सकता है कि तारा ही बना दे,


तुम आसमान की राह पर

मैं जमीन पर  

अपने को कुचलने से बचाता हुआ

जीऊंगा, जब तक मेरी

अपनी प्रेयसी का भक्षण न बन जाऊं।"


येशु ने समझ लिया

जो प्यार करता है, वही मारता है। 

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