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रविदत्त मोहता

यह जोधपुर, राजस्थान (भारत), के रहने वाले हैं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पूर्व IBPS अधिकारी हैं। रेडियो और दूरदर्शन के भारत में निदेशक रह चुके हैं।


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हेतु रहित जगत

मनुष्य करता है

कामना...

खुद को रूपबद्ध करने की !

अशांत कोहरे में लिपटा

हड्डी-मांस की छाल पहने

मनुष्य यहाँ आदमखोर विहार पर है..!

विचार के व्यभिचार से कामांध

राजा स्वयं !

अपनी छाया में रहते हुए

खुद को अर्ध अनुभव करता है..!

इस हेतु रहित जगत में जन्मा

यह अनोखा मनीषी (मनुष्य) कौन है ?

यहां सचमुच पृथ्वी का जीवन

अचेतन शून्य का पड़ोसी है..!

जगत का शिकार करता मनुष्य

स्वयं जगत का शिकार हो जाता है..!

जो था कभी अंतर्दृष्टि सम्पन्न

उध्र्व-दृष्टि से पूर्ण

उसकी आत्मा यहां

तुच्छ लालसाओं

और अल्पजीवी इच्छाओं की

अंधगली में होती हैं अवतीर्ण...

एक विषधारी कोहरे में तैरते

बीन बजाते इसके मनमुख मन को

डस लेती है

एक दिन

मृत्यु की नागिन..!

लगता है...

देवताओं ने कर दिए हैं

मनुष्य ह्रदय पर

अपने खोटे हस्ताक्षर!

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