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सुमेधा
सुमेधा एक स्वतंत्र रचनाकार हैं, जो अपनी कृतिओं द्वारा भाषा और भाव के विभिन्न रूपों की अभिव्यक्ति का प्रयास कर रहीं हैं। उनकी आशा है कि यह प्रयास साहित्य में, लिखित मूल को नए आकार देगा।
ट्विटर / X: @svamedha
भय भी क्यूँ ?
बरसता ही तो है
लदा हुआ
पानी ही तो है
भीगता है
सूखता है
तना हुआ
बदन
राही ही तो है
समेटे भी
लिपटा रहे
सिकुड़ा हुआ
घायल
उलझा हुआ
छागल
गहना ही तो है
हर दूरी लगे
शाम
ढलती हुई
मसान
कोहरा घनी
लगाम
बस
बस
अंधेरा ही तो है
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